जोन ऐबराहिम करगे साऊथ फिल्म में डेब्यू,साथ ही इस मे पांच फिल्मे करेंगे बेक टू बेक।

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जोन एबाराहीम करेंगे साऊथ फिल्म मे केम्यो, साथ ही इस साल देने वाले के लिए पांच फिल्मेबैक टू बैक है। बोलीवुड के मोस्त होटल्स सेक्सी हर जोन इबराहीम, जो बोलीवुड को अब एक से एक बडी हीट फिल्मे दे चूके है, और अपने फेन्स को अपने बोडी ओर स्टाइल अब तक काफी बेहतरीन गाने कर चुके हैं। बोलीवुड मे अपने कई सारे अंदाज चाहे वो कोमेडी हो या इमोसन, वो अपने अंदाज से फेन्स के दिलों काफी काफी भाड़े है, लोगों का प्यार जोन इबराहीम के चेहरे पर हमेशा छलकते रहता है। अपने बोडी ओर लुक से लडको के दिलो राज करते ही, साथ ही लडकियां भी उन्हे बहुत ज्यादा करते हैं। इसलिए ज़ोन इब्हीम को फिल्मेंबैक टू बैक मिलते रहती हैं। साऊथ फिल्म मे विल डेब्यू-जोन इब्राहीम। एक मुवी से अपडेट आया है कि जोन इब्हीम साऊथ फिल्म मे करने वाले है डेब्यू।  यह बात सच है कि बोलीवड के अलावा सउथ फिल्म मे नजर आले है जोन एबरहीम। साऊथ इड्रास्टी का मानना ​​है कि ज़ोन एबहीम बोलीवुड के काफी ज्यादा मनरोचक हूर है, वो हर प्रदर्शन को काफी अच्छा प्लेटे है। ऊमद है कि साऊथ फिल्मों के हमे काफी फेन्स को मानसिकजन करेंगे।                     Click on emage to Buy     O

जानिए धरमेंदर सर आज भी देवानंद को भगवान क्यो मानते है।

 

जानिए धरमेंदर सर का किस्मत किनके वजह से बदला,ओर धर्मेंद्र सर उन्हें भगवान क्यो मानते हैं।

यह बात सच है कि आज भी धरमेंदर सर देवानंद को भागवन मानते है।

 इसके पिछे खास वजाह है जिसे आज भी याद करते है।वजाहजानने से पहले आप सब को यह बता दे कि किस तरह धरमेंदर सर ने बोलिवुड पे कदम रखे ओर उन्हें किन -किन परस्थितियों का सामना करना पडा।

सबसे पहले बत दे कि धरमेंदर सर का जन्म पंजाब के कपूर            थला जिले मे 8 दिसंबर 1935 को हुआ है।

पिता- केवल किशन देवल स्कुल के हेड मास्टर थे।

     असल मे इनका गांव का नाम सोनिमेहिल है।

धरमेंदर का असली नाम धरम सिंह देवल था। धमेंदर सर को       बच्चपन से बोकसिंग ओर फिल्मे देखने का काफि सोक        था, धरमेंदर फिल्मे देखते देखते एकटिंग का ऐसा सोक             चडा कि वह एकटिंग मे अपना रुचि लाने लगे।

फिल्म दिललगी मे काम करने के बाद उनके दिमांग मे एकटिंग का ऐसा किडा काटा कि उसने पुरा मन बना लिया कि अब फिल्म ही जिंदगी है।

दोस्तो आपको यह बता दे कि फिल्मो मे आने से वह रेलवे मे कलर्क का काम करते थे। उस समय उनकी सेलरी मात्र 125 रू थी।           click on emage to Buy.

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जब उन्हे पता चला एक फिल्म पर्तियोगिता मे एक चेहरे का तलाश है तो उसने उस पर्तियोगिता मे भाग ले लिया।

धरमेंदर सर कही भी एकटिंग नही सिख थे इसके बावजुद उपर वाले उसे ऐसी देन दी थी कि उसने उसने उस पर्तियगिता

मे बाजी मार ली, ओर टाइलेंट हन्ट के विजेता बन गये।

टाइलेंट हन्ट पर्तियगिता को जीतने के बाद धरमेंदर सर तय कर लिए की अब उनकी कामयाबि उनसे ज्यादा दुर नही है। लेकिन यहां से धरमेंदर सर का असर परीक्षा अब शुरु होना था।

धरमेंदर सर फिल्मों मे काम पाने के लिए फिल्म निर्माताओं के दरवाजों का चक्कर लगाने लगे,दर-दर की ठोकरे खाने पडी।

उस समय उनकी जिंदगी इतनी बेवस हो गया था कि उसे रात रात भर चन्ने खाकर गुजारना पडता था।

कई बार तो उस चन्ने के भी नसीब नही मिला करता था।लेकिन फिल्मों मे काम करने का ऐसा जुनून था कि वो अपने बुरे हलात को भी कई मील पिछे छोड दिया करते थे।

वो पैसे बचाने के लिए मीलो दुर पैदल चला करते थे। धरमेंदर उन दिनों अपने एक दोस्त के साथ रेंट के एक रुम दोनो एक साथ रहते थे। एक दिन  उनके पास पैसा ना होने के कारन भुख के मारे थके हारे घर आये तो टेबल मे पडे खाने को देख उसने सारा खाना खा लिया।

उस खाने का ऐसा रिएक्सन हुआ कि उसे सिधा होस्पिटिलाइज करना पड गया। वहां डाँक्टर ने बताया कि इसे दवा के अलावा खाना का अवश्कता है।

उस वक्त उनके रूम पाटनर मिस्टर अजुर्न हिन्गों रानी धरमेंदर सर को काफी सहारा दिया।

आपको बता दे कि धरमेंदर की पहली फिल्म1960 के दशक मे 'दिल भी तेरा-हम भी तेरे' आई थी। जिसने अजुर्न हिन्गों रानी इस फिल्म मे मौका दिया। जिसे धरमेंदर आज भी उसके एहसान को याद करते है।

हलाकि इस फिल्म से धरमेंदर सर को ज्यादा पेहचान तो नही मिली। लेकिन इसके बाद भी वह काफी मेहनत करते रहे।

तब उसकी मुलाकात देवानन्द साहब से हुई, देवानन्द साहब के मुलाकात ने धरमेंदर सर का पुरा किस्मत बदल कर रख दिया। यू मानो तो उनके सामने भगवान बन आ खडे हो गये थे।

देवानन्द साहब उस समय के सुपर स्टार थे।

धरमेंदर सर का फिल्म आये 1 साह हो चुका था। उस समय धरमेंदर सर फिल्में पाने के लिए जगह जगह ओडिसन दे रहे थे।

1961 मे फिल्म बन रही थी 'सोल्हा ओर सबनम' उस फिल्म के लिए रमेश सेगल ने देवनन्द साहब को लीड रोड मे चुन लिए थे। 

तभि धरमेंदर सर ने भी उस फिल्म मौका पाने के लिए ओडिसन देने देव तारा स्टूडियो पहुच गये थे ओर लाइन मे खडे हो खडे थे।

तभि देवानन्द साहब ने धरमेंदर को लाइन मे खडा देखा, धरमेंदर सर को हट्टे कट्ठे वे स्मार्ट लुक मे देखकर चोक गये, देवनन्द साहब ने उनके पास जाकर हाथ मिलाया ओर उनसे बाते करने लगे।

बाते करने के बाद देवानन्द साहब ने फिल्म की स्किरिपट देखने अंदर चले गये।

देवानन्द सहब को उस फिल्म रोल करना पर्फेक्ट नही लगा ओर धरमेंदर सर को उस फिल्म मे लीड रोल देने की बात करने लगे। बहुत समझाने के रमेश सेगल ने आखिर मे देवानन्द साहब की बात मानी ओर फिल्म मे लीड रोल के लिए के साइन कर लिया।

आप जानकर हैरानी होगी की उस दशक की' सोलह ओर सबनम' सुपर डुपर हीट साबित हुई।

उस समय लोगो के दिलो मे इस कदर छा गये कि उसके बाद धरमेंदर सर के पास फिल्मों की लाइन लगनी लगी।

ओर आज धरमेंदर सर को बोलीवड मे बीरू भाई के नाम से जाने जाते है।


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